मुख्य आयोजन

स्वयंसेवी संगठनों का प्रादेशिक सम्मेलन वर्ष २००१

समिति के एक विभाग – सम सामयिक अध्ययन केंद्र ने सन २००१ में मध्यप्रदेश के स्वयंसेवी संगठनों का तीन दिवसीय सम्मलेन आयोजित किया. केन्द्र सरकार तथा यू.एन.डी.पी के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन में राज्य की लगभग ७५० संस्थाओं ने भाग लिया । सम्मेलन का शुभारंभ तत्कालीन उपराष्ट्रपति श्री कृष्णकांत ने किया। इस सम्मेलन में यू.एन.डी.पी. का दक्षिण एशिया प्रभारी सुश्री ब्रिण्डाजेल मैक्सविनी विशेष रूप से उपस्थित थी। तीन दिनों तक चले इस सम्मेलन में केन्द्र और राज्य सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों और नीति निर्धारकों के साथ स्वैच्छिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने सीधी चर्चा की। इस सम्मेलन के जरिये देश के पिछड़े राज्यों में स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका को तलाशा गया और उनकी समस्याओं के बारे में भी चर्चा हुई।

स्वैच्छिक संगठनों को एक मंच पर लाने का वाला यह मध्य प्रदेश का पहला सम्मेलन था। दिनांक २४ एवं २५ मार्च २००१ को हुए इस सम्मेलन का आयोजन राष्ट्रीय जनसहयोग एवं बाल विकास संस्थान नईदिल्ली के सहयोग से किया गया था। इस समारोह की अध्यक्षता माननीय श्रीमती सुमित्रा महाजन,महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री केन्द्र सरकार ने की। इस अवसर पर श्रीमती कृष्णकांत भी उपस्थित थी। विशेष अतिथि के रूप में म. प्र. के माननीय मुखयमंत्री श्री दिग्विजयसिंह उपस्थित थे।

श्रीमती ब्रिण्डा मैक्सविनी ने अपने वक्तव्य में भारत के स्वैच्छिक संगठनों की भूमिका को सराहा तथा अपने विशिष्ट अन्दाज में हिन्दी में नमस्कार कर उपस्थित जन समूह को विकास के पथ पर बढने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर श्रीमती विनीता नागर एवं श्रीमती मुक्ति श्रीवास्तव द्वारा लिखित तथा समसामयिकी के विद्गोषांक का विमोचन अतिथियों ने किया। राष्ट्रीय जन सहयोग की सचिव श्रीमती रेखा भार्गव ने स्वागत भाषण दिया तथा सम्मेलन के संयोजक श्री राकेश मित्तल ने आभार माना।



केन्द्रीय बजट पर संगोष्ठी

आर्थिक विषयों पर चिन्तन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से केन्द्रीय बजट के आने के पूर्व और आने के बाद समसामयिक केन्द्र हमेशा संगोष्ठियों का आयोजन करता रहा है। वर्ष २००२ के केन्द्रीय बजट पर आयोजित संगोष्ठी को दूरदर्द्गान पर बजट चर्चा के सूत्रधार एवं वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने संबोधित किया। श्री देव ने कहा कि हमारी जमीन की उत्पादन क्षमता निरंतर घटती जा रही है। इससे कृषि पर आधारित उद्योगों की दशा खराब हो रही है। अतः हमें कृषि में निवेश बढ़ाना होगा। तभी हम कृषि प्रधान देद्गा में विकास देख सकते हैं। संगोष्ठी में प्रसिद्ध अर्थशास्त्री डॉ. जयंतीलाल भंडारी ने वैश्र्वीकरण को बढावा देने की बात पर जोर देते हुए कहा कि हमें आर्थिक विकास के लिए वैश्र्वीकरण को बढावा देना होगा॥ संगोष्ठी को वरिष्ठ कर सलाहकार सुभाष देशपांडे ने भी संबोधित किया।


कॉपी राइट एक्ट पर कार्यक्रम


कॉपी राइट के विषय में जनता को सूचना पहुँचाने के उद्देद्गय से केन्द्र ने दो दिवसीय सेमिनार आयोजित किया। इसका उद्‌घाटन भारतीय विधि आयोग के सदस्य, वरिष्ठ विधिवेत्ता श्री एन.एम. घटाटे ने किया। इस अवसर पर बोलते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव श्री सुमित बोस ने कहा कि कॉपी राइट के नियमों को डिजिटल क्रांति की चुनौती का सामना करने के लिए नया स्वरूप दिया जा रहा है। परम्परागत ज्ञान, लोक संगीत एवं कलाओं के व्यावसायिक इस्तेमाल पर एक्ट के नियमों की व्याखया करते हुए आपने कहा कि वर्तमान में कॉपी राइट एक्ट सिर्फ व्यक्तिगत लेखक या रचनाकार को उसकी कृति के लिए संरक्षण का अधिकार देता है। लोक प्रवर्तित या समाज द्वारा विकसित कृति या रचना को नहीं। सेमिनार को उद्योग मंत्रालय के उपसचिव टी.सी. जेम्स व विधि आयोग के सदस्य डॉ. टी.के. विद्गवनाथ, श्री विनय झैलावत और डॉ. सचिन चतुर्वेदी ने भी संबोधित किया।

बाल नाट्‌य शिविर का आयोजन

दो दिवसीय बाल नाट्‌य शिविर का आयोजन कर बच्चों में ललित कलाओं के प्रति रुझान पैदा करने का प्रयत्न किया गया। बाल नाट्‌य शिविर के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में श्री विभांशु जोशी उपस्थित थे। इस शिविर में डॉ. माया इंगले, श्रीराम जोग तथा श्रीमती माना के मार्गदर्द्गान में बच्चों ने पर्यावरण सुधार, शिक्षा के महत्व, बाल श्रम, नैतिकता तथा देश्भक्ति की भावनाओं को अभिव्यक्त करते हुये अभिनय का प्रशिक्षण प्राप्त किया। केन्द्र की अध्यक्ष एवं केन्द्रीय मंत्री श्रीमती सुमित्रा महाजन ने भी बच्चों को संबोधित किया।

जैव विविधता पर कार्यक्रम

जैव तकनीकी नीति पर सेमिनार म.प्र. में जैव विविधता एवं जैव तकनीकी के विकास हेतु ठोस नीति बनाए जाने की आवद्गयकता है। अर्थद्गाास्त्री तथा जैव तकनीकी से संबंधित संयुक्त राष्ट्रसंघ की पत्रिका बायोटेक्नॉलॉजी रिव्यू के सम्पादक डॉ. सचिन चतुर्वेदी ने केन्द्र में म. प्र. में जैव विविधता तथा जैव तकनीकी नीति चुनौतियां और संभावनाए विच्चय पर आयोजित सप्ताहांत संगोच्च्ठी में विचार व्यक्त किए। गुजराती विज्ञान महाविद्यालय के प्राचार्य एवं पर्यावरणविद्‌ डॉ. ओ.पी. जोशी ने कहा कि जैव विविधता के पारम्परिक ज्ञान को महत्व देना चाहिए तथा उसके लिए प्रत्येक विज्ञान महाविद्यालय को स्थानीय जैव विविधता के अनुसंधान संरक्षण और संवर्धन की जिम्मेदारी देना चाहिए।

आम आदमी और राष्ट्रध्वज

राष्ट्रध्वज को उपयोग करने का पूरा अधिकार एक आम भारतवासी का है। इस अधिकार के लिए देश की सर्वोच्य न्यायालय तक लड़ाई लडने वाले युवा उद्योगपति नवीन जिन्दल का व्याखयान २९ दिसम्बर, ९७ को आयोजित किया गया। अपने व्याखयान में श्री जिन्दल ने कहा कि विदेश में नागरिक अपने राष्ट्रध्वज को घरों में बहुत आदर और सम्मान के साथ लगाते है। मुझे भी वहीं से प्रेरणा मिली कि हमारे राष्ट्र में भी नागरिकों को राच्च्ट्रध्वज को सम्मानपूर्ण उपयोग की स्वतंत्रता होनी चाहिए। उन्होने कहा कि जब मैने पूरे सम्मान के साथ राष्ट्रध्वज का उपयोग शुरू किया, तो शासकीय अधिकारियों ने रोक दिया। इस घटना से मेरे स्वाभिमान को ठेस पहुंची और मै यह प्रकरण न्यायालय तक ले गया, तब उच्च न्यायालय ने यह फैसला दिया कि राष्ट्रध्वज लगाना प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। श्री जिन्दल ने कहा कि राच्च्ट्रध्वज के उपयोग का अर्थ नागरिकों के मानस में राष्ट्र के प्रति सम्मान है। श्री जिन्दल ने ऐसे महत्वपूर्ण विषय पर राष्ट्रीय परिसंवाद आयोजित करने के लिए केन्द्र को साधुवाद दिया।